डार्क साइड ऑफ़ व्हाट्सप्प
सन 2009 मैं ब्रायन ऐक्टन नाम के एक आदमी ने अपने एक फ्रेंड जन कौम के साथ मिल के एक मोबइल एप्लीकेश डेवेलोप करते है जिसको आज वर्ल्डवाइड मैं १ मिलियन से ज्यादा लोग यूज़ कर रहे है !
- उस ऐप का नाम है “व्हाट्सप्प“
फेब्रुअरी 2014 मैं फेसबुक ने व्हाट्सप्प को 19 मिलियन डॉलर्स मैं अधिग्रहीत क्या उसके बाद ब्रायन ऐक्टन जो की व्हाट्सप्प के फाउंडर है वो एक फेसबुक एम्पॉलई बन कर फेसबुक को चलने लगे लेकिन 2017 मैं अचानक एक दिन ब्रायन ऐक्टन फेसबुक और उसके साथ -साथ अपने 850 मिलियन डॉलर्स का स्टेक्स एक झटके मैं छोड़ देते है और फेसबुक को उसी टाइम क्विट्स कर देते है कुछी दिनों के बाद व्हाट्सप्प के दूसरे फाउंडर जन कौम भी फेसबुक को क्विट्स कर देते है ! यह चीज एक बोहत बड़ा सबाल खड़ा करती है की अचानक से ऐसा क्या हुआ जो दोनों फाउंडर ने व्हाट्सप्प को एक साथ छोड़ दिया सिर्फ इतना हे नहीं उसके बाद उन्होंने एक नया एप्लीकेशन डिज़ाइन क्या जो की व्हाट्सप्प का “राइवल” था ! जिसका नाम है “सिग्नल” आज तक हम मैं से किसी ने शायद ही कभी व्हाट्सप्प को यूज़ करने के लिया शायद ही कभी पैसा खर्च किया होगा !
अब सबाल ये आता है एक फ्री टू यूज़ एप्लीकेशन जिसके वर्ल्डवाइड मैं 1 मिलियन से भी ज्यादा यूजर है वो आज तक कैसे सर्वाइव कर रही है क्या फेसबुक व्हाट्सप्प के लिए केस बर्न करता है नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है व्हाट्सप्प की एक बोहत हे सेक्रेटिव डार्क साइड है जो ज्यादातर लोगो को पता ही नहीं है ! सो यह कहानी शुरू होती है 2009 मैं जब ब्रायन ऐक्टन जो की व्हाट्सप्प के फाउंडर है वो फेसबुक मैं एक जॉब के लिए अप्लाई करते है और उन्हें रिजेक्ट कर
दिया जाता है उसके बाद वो अपने एक फ्रेंड जो की याहू के एक्स -एक्सेक्यूटिव है जन कौम के साथ मिल कर व्हाट्सप्प की शुरुआत करते है !इन वैसे तो व्हाट्सप्प एक फ्री टू एप्प था इन्फेक्ट वो आज भी एक फ्री टू एप्प है कोई भी एप्लीकेशन जो इस दुनिया मैं फ्री टू यूज़ है वो सिर्फ और सिर्फ “3 तरीकों ” से पैसा कामा सकती है !
1 . एडवरटाइजिंग
2 . इन-एप्प परचेस
3 . सेल ऑफ़ डाटा
व्हाट्सप्प के दोनों फाउंडर इन “तीनों चीजों” के खिलाफ थे बोहत आजीब बात है ना अगर ऐसा है तो व्हाट्सप्प पैसे कैसे कमाता है ! सो 2010 मैं व्हाट्सप्प बोहत तेजी से ग्रो कर रहा था और ज्यादा लोग व्हाट्सप्प को यूज़ करते चले गए व्हाट्सप्प की इस रैपिड ग्रोथ का एक हे कारण है ! “नेटवर्क इफ़ेक्ट” तो हम देखते है ये कैसे काम करता है for ex . जैसे आज अपने व्हाट्सप्प को डाउनलोड किया अब आप इससे अकेले तो यूज़ करोगे नहीं तो फिर ये बात अपने अपने फ्रेंड को बातयी की तुम भी व्हाट्सप्प को इंस्टॉल कर लो और हम लोग वहां पर आराम से बात करेंगे वो इससे डाउनलोड कर लेता है फिर आपकी ही क्लास का एक और फ्रेंड जो आपसे बात करना चाहता है आप उसे भी यही एप्प डाउनलोड करनी की बताओगे जिससे आप सब की बात आपस मैं आराम से हो जाये यही बात आप अपने और भी फ्रेंड्स एंड फैमिली मेंबर्स को बताओगे और बोलोगे मैं यहाँ पर बाकी सब से बात करता हूँ तो आप सब से भी मेरी यही पर बात हो जायगे आराम से इससे ही कहते है “नेटवर्क इफ़ेक्ट ” बोहत ही आसान भाषा मै कोई भीं एक यूजर एक प्लेटफॉर्म को यूज़ करने के लिए और यूजर लता है और वो यूजर जब प्लेटफॉर्म पर आते है तो वो लोग और भी यूजर को लाते है और इसी “नेटवर्क इफ़ेक्ट” की वजह से व्हाट्सप्प की ग्रोथ बोहत ही तेजी से हो रही थी !
लेकिन व्हाट्सप्प के सामने बोहत बड़ी प्रॉब्लम थी वो प्रॉब्लम थी पैसा व्हाट्सप्प सिर्फ और सिर्फ अपनी “इनिशियल सीड कैपिटल” के ऊपर ही सर्वाइव कर रहा था ! और जो व्हाट्सप्प के फाउंडर थे वो ऐड से सख्त नफ़रत करते थे ! सिर्फ इसलिए उन्होंने याहू की जॉब छोड़ दी थी वो लोग इन चीजों के खिलाप थे पर उन्हें पैसो की भी बोहत जरूरत थी व्हाट्सप्प के ऊपर ज्यादा लोग आ रहे थे तो उनको बोहत बड़े सर्वर की जरूरत थी इसके साथ -साथ एप्प को मैनेज करने के लिये उनको एक बड़ी टीम की भी जरूरत थी और ये वो जगह है जहाँ पर लेकिन 2017 मैं अचानक एक दिन ब्रायन ऐक्टन फेसबुक और उसके साथ -साथ अपने 850 मिलियन डॉलर्स का स्टेक्स एक झटके मैं छोड़ देते है और फेसबुक को उसी टाइम क्विट्स कर देते है कुछी दिनों के बाद व्हाट्सप्प के दूसरे फाउंडर जन कौम भी फेसबुक को क्विट्स कर देते है यह चीज एक बोहत बड़ा सबाल खड़ा करती है की अचानक से ऐसा क्या हुआ जो दोनों फाउंडर ने व्हाट्सप्प को एक साथ छोड़ दिया सिर्फ इतना हे नहींउसके बाद उन्होंने एक नया एप्लीकेशन डिज़ाइन क्या जो की व्हाट्सप्प का “राइवल” था जिसका नाम है “सिग्नल” आज तक हम मैं से किसी ने शायद ही कभी व्हाट्सप्प को यूज़ करने के लिया शायद ही कभी पैसा खर्च किया होगा अब सबाल ये आता है एक फ्री टू यूज़ एप्लीकेशन जिसके वर्ल्डवाइड मैं 1 मिलियन से भी ज्यादा यूजर है वो आज तक कैसे सर्वाइव कर रही है क्या फेसबुक व्हाट्सप्प के लिए केस बर्न करता है नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है व्हाट्सप्प की एक बोहत हे सेक्रेटिव डार्क साइड है जो ज्यादातर लोगो को पता ही नहीं है सो यह कहानी शुरू होती है 2009 मैं जब ब्रायन ऐक्टन जो की व्हाट्सप्प के फाउंडर है वो फेसबुक मैं एक जॉब के लिए अप्लाई करते है और उन्हें रिजेक्ट कर दिया जाता है उसके बाद वो अपने एक फ्रेंड जो की याहू के एक्स -एक्सेक्यूटिव है जन कौम के साथ मिल कर व्हाट्सप्प की शुरुआत करते है !इन वैसे तो व्हाट्सप्प एक फ्री टू एप्प था इन्फेक्ट वो आज भी एक फ्री टू एप्प है कोई भी एप्लीकेशन जो इस दुनिया मैं फ्री टू यूज़ है वो सिर्फ और सिर्फ “3 तरीकों ” से पैसा कामा सकती है 1 . एडवरटाइजिंग
2 . इन-एप्प परचेस
3 . सेल ऑफ़ डाटा
व्हाट्सप्प के दोनों फाउंडर इन “तीनों चीजों” के खिलाफ थे बोहत आजीब बात है ना अगर ऐसा है तो व्हाट्सप्प पैसे कैसे कमाता है ! सो 2010 मैं व्हाट्सप्प बोहत तेजी से ग्रो कर रहा था और ज्यादा लोग व्हाट्सप्प को यूज़ करते चले गए व्हाट्सप्प की इस रैपिड ग्रोथ का एक हे कारण है “नेटवर्क इफ़ेक्ट” तो हम देखते है ये कैसे काम करता है for ex . जैसे आज अपने व्हाट्सप्प को डाउनलोड किया अब आप इससे अकेले तो यूज़ करोगे नहीं तो फिर ये बात अपने
अपने फ्रेंड को बातयी की तुम भी व्हाट्सप्प को इंस्टॉल कर लो और हम लोग वहां पर आराम से बात करेंगे वो इससे डाउनलोड कर लेता है फिर आपकी ही क्लास का एक और फ्रेंड जो आपसे बात करना चाहता है आप उसे भी यही एप्प डाउनलोड करनी की बताओगे जिससे आप सब की बात आपस मैं आराम से हो जाये यही बात आप अपने और भी फ्रेंड्स एंड फैमिली मेंबर्स को बताओगे और बोलोगे मैं यहाँ पर बाकी सब से बात करता हूँ तो आप सब से भी मेरी यही पर बात हो जायगे आराम से इससे ही कहते है “नेटवर्क इफ़ेक्ट ” बोहत ही आसान भाषा मै कोई भीं
एक यूजर एक प्लेटफॉर्म को यूज़ करने के लिए और यूजर लता है और वो यूजर जब प्लेटफॉर्म पर आते है तो वो लोग और भी यूजर को लाते है और इसी “नेटवर्क इफ़ेक्ट” की वजह से व्हाट्सप्प की ग्रोथ बोहत ही तेजी से हो रही थी लेकिन व्हाट्सप्प के सामने बोहत बड़ी प्रॉब्लम थी वो प्रॉब्लम थी पैसा व्हाट्सप्प सिर्फ और सिर्फ अपनी “इनिशियल सीड कैपिटल” के ऊपर ही सर्वाइव कर रहा था और जो व्हाट्सप्प के फाउंडर थे वो ऐड से सख्त नफ़रत करते थे ! सिर्फ इसलिए उन्होंने याहू की जॉब छोड़ दी थी वो लोग इन चीजों के खिलाप थे पर उन्हें
पैसो की भी बोहत जरूरत थी व्हाट्सप्प के ऊपर ज्यादा लोग आ रहे थे तो उनको बोहत बड़े सर्वर की जरूरत थी इसके साथ -साथ एप्प को मैनेज करने के लिये उनको एक बड़ी टीम की भी जरूरत थी और ये वो जगह है जहाँ पर इस गेम मैं एंट्री होती है “सेकोईअ” व्हाट्सप्प के फाउंडर फंड्स इसलिए नहीं उठा रहे थे क्योकि नहीं चाहते थे कोई भी कंपनी के अंदर आ कर इंटरफेर करे लेकिन जब “सेकोईअ कैपिटल” आई तब “सेकोईअ कैपिटल” ने व्हाट्सप्प को मिलियन एंड मिलियन डॉलर्स दिये और यह कहा की हम इस कंपनी के अंदर बिल्कुल भी दखल अंदाजी नहीं करेंगे और यह होते ही व्हाट्सप्प को एक नया बिज़नेस मॉडल मिल गया क्या है वो बिज़नेस मॉडल “गेट यूजर” —–“गेट इन्वेस्टर” “गेट मोर यूजर “——गेट मोर इन्वेस्टमेंट
अपने यूजर से पैसे कमाने की वजहें व्हाट्सप्प ने फोकोस किया कैसे वो अपनी एप्लीकेशन को बेस्ट बना सकते है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग व्हाट्सप्प को यूज़ करने लगे लेकिन 2017 मैं अचानक एक दिन ब्रायन ऐक्टन फेसबुक और उसके साथ -साथ अपने 850 मिलियन डॉलर्स का स्टेक्स एक झटके मैं छोड़ देते है और फेसबुक को उसी टाइम क्विट्स कर देते है कुछी दिनों के बाद व्हाट्सप्प के दूसरे फाउंडर जन कौम भी फेसबुक को क्विट्स कर देते है यह चीज एक बोहत बड़ा सबाल खड़ा करती है की अचानक से ऐसा क्या हुआ जो दोनों फाउंडर ने व्हाट्सप्प को एक साथ छोड़ दिया सिर्फ इतना हे नहीं उसके बाद उन्होंने एक नया एप्लीकेशन डिज़ाइन क्या जो की व्हाट्सप्प का “राइवल” था जिसका नाम है “सिग्नल” आज तक हम मैं से किसी ने शायद ही कभी व्हाट्सप्प को यूज़ करने के लिया शायद ही कभी पैसा खर्च किया होगा अब सबाल ये आता है एक फ्री टू यूज़ एप्लीकेशन जिसके वर्ल्डवाइड मैं 1 मिलियन से भी ज्यादा यूजर है वो आज तक कैसे सर्वाइव कर रही है क्या फेसबुक व्हाट्सप्प के लिए केस बर्न करता है नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है व्हाट्सप्प की एक बोहत हे सेक्रेटिव डार्क साइड है जो ज्यादातर लोगो को पता ही नहीं है सो यह कहानी शुरू होती है 2009 मैं जब ब्रायन ऐक्टन जो की व्हाट्सप्प के फाउंडर है वो फेसबुक मैं एक जॉब के लिए अप्लाई करते है और उन्हें रिजेक्ट कर दिया जाता है उसके बाद वो अपने एक फ्रेंड जो की याहू के एक्स -एक्सेक्यूटिव है जन कौम के साथ मिल कर व्हाट्सप्प की शुरुआत करते है !इन वैसे तो व्हाट्सप्प एक फ्री टू एप्प था इन्फेक्ट वो आज भी एक फ्री टू एप्प है कोई भी एप्लीकेशन जो इस दुनिया मैं फ्री टू यूज़ है वो सिर्फ और सिर्फ “3 तरीकों ” से पैसा कामा सकती है
1 . एडवरटाइजिंग
2 . इन-एप्प परचेस
3 . सेल ऑफ़ डाटा
व्हाट्सप्प के दोनों फाउंडर इन “तीनों चीजों” के खिलाफ थे बोहत आजीब बात है ना अगर ऐसा है तो व्हाट्सप्प पैसे कैसे कमाता है ! सो 2010 मैं व्हाट्सप्प बोहत तेजी से ग्रो कर रहा था और ज्यादा लोग व्हाट्सप्प को यूज़ करते चले गए व्हाट्सप्प की इस रैपिड ग्रोथ का एक हे कारण है “नेटवर्क इफ़ेक्ट” तो हम देखते है ये कैसे काम करता है for ex . जैसे आज अपने व्हाट्सप्प को डाउनलोड किया अब आप इससे अकेले तो यूज़ करोगे नहीं तो फिर ये बात अपने अपने फ्रेंड को बातयी की तुम भी व्हाट्सप्प को इंस्टॉल कर लो और हम लोग वहां पर आराम से बात करेंगे वो इससे डाउनलोड कर लेता है फिर आपकी ही क्लास का एक और फ्रेंड जो आपसे बात करना चाहता है आप उसे भी यही एप्प डाउनलोड करनी की बताओगे जिससे आप सब की बात आपस मैं आराम से हो जाये यही बात आप अपने और भी फ्रेंड्स एंड फैमिली मेंबर्स को बताओगे और बोलोगे मैं यहाँ पर बाकी सब से बात करता हूँ तो आप सब से भी मेरी यही पर बात हो जायगे आराम से इससे ही कहते है “नेटवर्क इफ़ेक्ट ” बोहत ही आसान भाषा मै कोई भींएक यूजर एक प्लेटफॉर्म को यूज़ करने के लिए और यूजर लता है और वो यूजर जब प्लेटफॉर्म पर आते है तो वो लोग और भी यूजर को लाते है और इसी “नेटवर्क इफ़ेक्ट” की वजह से व्हाट्सप्प की ग्रोथ बोहत ही तेजी से हो रही थी लेकिन व्हाट्सप्प के सामने बोहत बड़ी प्रॉब्लम थी वो प्रॉब्लम थी पैसा व्हाट्सप्प सिर्फ और सिर्फ अपनी “इनिशियल सीड कैपिटल” के ऊपर ही सर्वाइव कर
रहा था और जो व्हाट्सप्प के फाउंडर थे वो ऐड से सख्त नफ़रत करते थे ! सिर्फ इसलिए उन्होंने याहू की जॉब छोड़ दी थी वो लोग इन चीजों के खिलाप थे पर उन्हें पैसो की भी बोहत जरूरत थी व्हाट्सप्प के ऊपर ज्यादा लोग आ रहे थे तो उनको बोहत बड़े सर्वर की जरूरत थी इसके साथ -साथ एप्प को मैनेज करने के लिये उनको एक बड़ी टीम की भी जरूरत थी और ये वो जगह है जहाँ पर इस गेम मैं एंट्री होती है “सेकोईअ” व्हाट्सप्प के फाउंडर फंड्स इसलिए नहीं उठा रहे थे क्योकि नहीं चाहते थे कोई भी कंपनी के अंदर आ कर इंटरफेर करे लेकिन जब “सेकोईअ कैपिटल” आई तब “सेकोईअ कैपिटल” ने व्हाट्सप्प को मिलियन एंड मिलियन डॉलर्स दिये और यह कहा की हम इस कंपनी के अंदर बिल्कुल भी दखल अंदाजी नहीं करेंगे और यह होते ही व्हाट्सप्प को एक नया बिज़नेस मॉडल मिल गया क्या है वो बिज़नेस मॉडल
“गेट यूजर” —–“गेट इन्वेस्टर”
“गेट मोर यूजर “——गेट मोर इन्वेस्टमेंट
अपने यूजर से पैसे कमाने की वजहें व्हाट्सप्प ने फोकोस किया कैसे वो अपनी एप्लीकेशन को बेस्ट बना सकते है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग व्हाट्सप्प को यूज़ करने लगे इन्फेक्ट कुछ देशों मैं व्हाट्सप्प ने 1 डॉलर्स की एनुअल फ्री चार्ज करना !लेकिन 2017 मैं अचानक एक दिन ब्रायन ऐक्टन फेसबुक और उसके साथ -साथ अपने 850 मिलियन डॉलर्स का स्टेक्स एक झटके मैं छोड़ देते है और फेसबुक को उसी टाइम क्विट्स कर देते है कुछी दिनों के बाद व्हाट्सप्प के दूसरे फाउंडर जन कौम भी फेसबुक को क्विट्स कर देते है यह चीज एक बोहत बड़ा सबाल खड़ा करती है की अचानक से ऐसा क्या हुआ जो दोनों फाउंडर ने व्हाट्सप्प को एक साथ छोड़ दिया सिर्फ इतना हे नहीं उसके बाद उन्होंने एक नया एप्लीकेशन डिज़ाइन क्या जो की व्हाट्सप्प का “राइवल” था जिसका नाम है “सिग्नल” आज तक हम मैं से किसी ने शायद ही कभी व्हाट्सप्प को यूज़ करने के लिया शायद ही कभी पैसा खर्च किया होगाअब सबाल ये आता है एक फ्री टू यूज़ एप्लीकेशन जिसके वर्ल्डवाइड मैं 1 मिलियन से भी ज्यादा यूजर है वो आज तक कैसे सर्वाइव कर रही है क्या फेसबुक
व्हाट्सप्प के लिए केस बर्न करता है नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है व्हाट्सप्प की एक बोहत हे सेक्रेटिव डार्क साइड है जो ज्यादातर लोगो को पता ही नहीं है सो यह कहानी शुरू होती है 2009 मैं जब ब्रायन ऐक्टन जो की व्हाट्सप्प के फाउंडर है वो फेसबुक मैं एक जॉब के लिए अप्लाई करते है और उन्हें रिजेक्ट कर दिया जाता है उसके बाद वो अपने एक फ्रेंड जो की याहू के एक्स -एक्सेक्यूटिव है जन कौम के साथ मिल कर व्हाट्सप्प की शुरुआत करते है !इन वैसे तो व्हाट्सप्प एक फ्री टू एप्प था इन्फेक्ट वो आज भी एक फ्री टू एप्प है कोई भी एप्लीकेशन जो इस दुनिया मैं फ्री टू यूज़ है वो सिर्फ और सिर्फ “3 तरीकों ” से पैसा कामा सकती है 1 . एडवरटाइजिंग
2 . इन-एप्प परचेस
3 . सेल ऑफ़ डाटा
व्हाट्सप्प के दोनों फाउंडर इन “तीनों चीजों” के खिलाफ थे बोहत आजीब बात है ना अगर ऐसा है तो व्हाट्सप्प पैसे कैसे कमाता है ! सो 2010 मैं व्हाट्सप्प
बोहत तेजी से ग्रो कर रहा था और ज्यादा लोग व्हाट्सप्प को यूज़ करते चले गए व्हाट्सप्प की इस रैपिड ग्रोथ का एक हे कारण है “नेटवर्क इफ़ेक्ट” तो हम
देखते है ये कैसे काम करता है for ex . जैसे आज अपने व्हाट्सप्प को डाउनलोड किया अब आप इससे अकेले तो यूज़ करोगे नहीं तो फिर ये बात अपने
अपने फ्रेंड को बातयी की तुम भी व्हाट्सप्प को इंस्टॉल कर लो और हम लोग वहां पर आराम से बात करेंगे
वो इससे डाउनलोड कर लेता है फिर आपकी ही क्लास का एक और फ्रेंड जो आपसे बात करना चाहता है आप उसे भी यही एप्प डाउनलोड करनी की
बताओगे जिससे आप सब की बात आपस मैं आराम से हो जाये यही बात आप अपने और भी फ्रेंड्स एंड फैमिली मेंबर्स को बताओगे और बोलोगे मैं यहाँ पर
बाकी सब से बात करता हूँ तो आप सब से भी मेरी यही पर बात हो जायगे आराम से इससे ही कहते है “नेटवर्क इफ़ेक्ट ” बोहत ही आसान भाषा मै कोई भीं
एक यूजर एक प्लेटफॉर्म को यूज़ करने के लिए और यूजर लता है और वो यूजर जब प्लेटफॉर्म पर आते है तो वो लोग और भी यूजर को लाते है और इसी
“नेटवर्क इफ़ेक्ट” की वजह से व्हाट्सप्प की ग्रोथ बोहत ही तेजी से हो रही थी
लेकिन व्हाट्सप्प के सामने बोहत बड़ी प्रॉब्लम थी वो प्रॉब्लम थी पैसा व्हाट्सप्प सिर्फ और सिर्फ अपनी “इनिशियल सीड कैपिटल” के ऊपर ही सर्वाइव कर
रहा था
और जो व्हाट्सप्प के फाउंडर थे वो ऐड से सख्त नफ़रत करते थे ! सिर्फ इसलिए उन्होंने याहू की जॉब छोड़ दी थी वो लोग इन चीजों के खिलाप थे पर उन्हें
पैसो की भी बोहत जरूरत थी व्हाट्सप्प के ऊपर ज्यादा लोग आ रहे थे तो उनको बोहत बड़े सर्वर की जरूरत थी इसके साथ -साथ एप्प को मैनेज करने के
लिये उनको एक बड़ी टीम की भी जरूरत थी और ये वो जगह है जहाँ पर इस गेम मैं एंट्री होती है “सेकोईअ” व्हाट्सप्प के फाउंडर फंड्स इसलिए नहीं उठा
रहे थे क्योकि नहीं चाहते थे कोई भी कंपनी के अंदर आ कर इंटरफेर करे लेकिन जब “सेकोईअ कैपिटल” आई तब “सेकोईअ कैपिटल” ने व्हाट्सप्प को
मिलियन एंड मिलियन डॉलर्स दिये और यह कहा की हम इस कंपनी के अंदर बिल्कुल भी दखल अंदाजी नहीं करेंगे और यह होते ही व्हाट्सप्प को एक नया
बिज़नेस मॉडल मिल गया
क्या है वो बिज़नेस मॉडल
“गेट यूजर” —–“गेट इन्वेस्टर”
“गेट मोर यूजर “——गेट मोर इन्वेस्टमेंट
अपने यूजर से पैसे कमाने की वजहें व्हाट्सप्प ने फोकोस किया कैसे वो अपनी एप्लीकेशन को बेस्ट बना सकते है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग व्हाट्सप्प को
यूज़ करने लगे इन्फेक्ट कुछ देशों मैं व्हाट्सप्प ने 1 डॉलर्स की एनुअल फ्री चार्ज करना शुरू किया लेकिन बन डॉलर्स से कुछ ज्यादा अच्छा सपोर्ट नहीं मिल पाएगा पर इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योकि वेंचर कैपिटलिज्म का जो ये वर्ल्ड है अगर आपके पास यूजर है
और इन्वेस्टर को आपकी एप्लीकेशन के अंदर पोटेंशनल होता है तो आपको फंडिंग मिल जाती है और ये स्ट्रेटेजी व्हाट्सप्प के लिए जादू की तरह काम की देखते ही देखते 2014 मैं व्हाट्सप्प के 1 मिलियन से भी ज्यादा यूजर हो गए लेकिन अब एक बोहत बड़ी प्रॉब्लम आकर खड़ी हो गई
वो प्रॉब्लम थी ओवर रिलायंस अगर इन्वेस्टर ने पैसा नहीं दिया तो व्हाट्सप्प रात तो रात बंद हो जाता और ये वो पॉइंट है जब इस गेम मैं फेसबुक की एंट्री होती है इस मनी और ओवर रिलायंस की प्रॉब्लम को सोल्वे करने के लिए “ब्रायन और जन” को “गूगल” अपने हेड क्वाटर के अंदर बुलाते है ये सुनते हे
“मार्क ज़ुकेरबर” अगले दिन ही जन और ब्रायन के पास जाकर 19 मिलियन डॉलर्स का ऑफर देते है और व्हाट्सप्प को खरीद लेते है अब सबाल ये आता है जो कंपनी इतनी ज्यादा नुकसान मैं थी और शायद हे कभी फायदा देख पाती
फिर फेसबुक ने उससे 19 मिलियन मैं क्यों खरीदा जबकि फेसबुक ने “इंस्टाग्राम” को 1 मिलियन मैं खरीदा था तो फिर उन्होंने व्हाट्सप्प के लिए 19 मिलियन डॉलर्स क्यों खर्च किये फेसबुक ने व्हाट्सप्प को क्यों खरीदा ये समझने के लिए आपको इन्वेस्टर सर्किल को समझना बोहत जरुरी है
सो “वेंचर कैपिटल वर्ल्ड” मैं “3 तरह” के “बिज़नेस” होते है !
1 . लौ स्केल ——- हाई प्रॉफिट
2 . हाई स्केल ——-लौ प्रॉफिट
3 . हाई स्केल ——- हाई प्रोफिट
FOR EX. जैसे क्रिप्टो-कर्रेंइस के अंदर इन्वेस्ट करता हूँ तो उससे कमाने के दो ही रास्ते होते है
1 . या तो क्राप्टो करेंसी को सेल कर दो जब उनका प्राइस बढ़ जाये
2. प्लॉट्स के ऊपर जा कर एक शॉर्ट टर्म ट्रेड प्लेस कर दु !
अगर मुझे ये लगता है की आधे-या -एक घंटे मैं करप्टो कंपनी की वैल्यू ज्यादा या काम जायगाी मैं उसी के हिसाब से प्लॉट्स पर एक ट्रेड प्लेस कर दूँगा अगर ये सही होता है तो 200 परसेंट तक कमा सकते है बोहत सारे गेम्स भी खिलाये जाते है जिस मैं आप थोड़ा सा इन्वेस्ट कर के खूब कमा सकते हो इसलिए वेंचर कैपिटलिस्ट भी जब इन्वेस्ट करते तो ये सोर करता है उनका 50 % amount पहली और आखरी categry के अंदर इन्वेस्ट हो सिर्फ 50 % के साथ वो सेकंड categry के अंदर इन्वेस्ट करते है
ताकि वो लोग भी खुद को एक सेफ साइड पर रख सके
हमे रिस्क लेना चाहिए उतना ही जितना हम झेल सकते है
फेसबुक इस दुनिया की मोस्ट पावर फुल कंपनी मैं से एक है सिर्फ एक ही चीज है जो उन्हें पावर फुल बनती है वो है चीज है surveillance competency “बोहत ही काम लोगो को इससे जानते है तो देखो फेसबुक का “business modal ” कुछ इस तरीके से काम करता है !
1 . ब्रिंग यूजर
२. कलेक्टिंग डाटा
३. क्रिएट प्रोफाइल
4. कसुतुमिजे
5. शो एड्स
आप सभी को लगता होगा व्हाट्सप्प इस सब तरीको के वज़ह से ही आगे बढ़ पाया है लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है फेसबुक ने व्हाट्सप्प को सिर्फ और सिर्फ एक ही चीज के बजे से खरीदा था वो resion था “Attention Control Dominace” इस चीज को आप सब बोहत ध्यान से समझो जब आप व्हाट्सप्प डाउनलोड करते है तो स्टार्टिंग मैं व्हाट्सप्प आपकी परसनल इन्फॉर्मिशन मांगता है जैसे आपका “phone number” आपका”Name, “profil picture” आदि व्हाट्सप्प का मैन काम है
आपके डाटा की एक्सेस जानना इस मैं व्हाट्सअप आपका डाटा के साथ -साथ आपकी “प्रोफाइल पिक्चर ,आपकी गैलरी ,फ़ोन नंबर ,आपकीआपि एड्रेस ,आपके ऑडियो नोट्स ,आपकी कांटेक्ट लिस्ट यहाँ तक आपका कमरा भी !
इन सारी चीजों का एक्सेस व्हाट्सप्प को मिल जाता है
मई 2017, के अंदर यूरोपियन कंपनी ने फेसबुक के ऊपर “110 million” का फाइन लगया था ये फाइन इसलिए लगया गया था क्युकी फेसबुक ने जब व्हाट्सप्प को खरीदा था जब उसे मिस-लीड किया था यह जो फाइन है वो आज तक का सबसे बड़ा फाइन है और इसके जबाब मैं ज़ुकेरबर्ग ने यह कहा था “facebook और whatsapp” आपस मैं technically कभी भी interlinked” नहीं हो सकता हैं
और ज़ुकेरबर्ग के मुहा से ये बात सुना कोई बड़ी बात नहीं है क्योकि फेसबुक पहले से हे “privacy concern issues”के लिए बोहत फेमस है चाहे “cambridge Analytica scandal”या “mark zuckerberg harvard days ,एक समय पर mark zuckerberg”ने अपने प्राइवेट massage मैं ये अगर किसी को भी हार्वर्ड का डाटा चाहिए हो वो मेरे पास आ जाये मेरे पास सब का डाटा है total 4000+EMAILS और उसके साथ -साथ लोगो के address ,name ,phone number, pics, मेरे पा सब का ये डाटा पड़ा है उससे किसी ने पूछा अपने ये सब चीज कैसे mange की तो उन्होंने सिंपल कहा “people trusted me and gave me the data …. they are fools” अगर जब भी कुछ ऐसा होता है
और फेसबुक पकड़ा जाता है तो वो सिर्फ एक हे चीज करता है वो है “they appolozise”जब फेसबुक ने व्हाट्सप्प को खरीदा था उस टाइम पर व्हाट्सप्प के फाउंडर को ये प्रॉमिस किया गया था की फेसबुक बिल्कुल भी उनकी कंपनी के अंदर इंटरफेरेंस नहीं करेंगे पर 2017 मैं जब रूल्स चेंज हुए थे तब व्हाट्सप्प को यह डिक्लेयर करना पड़ा की व्हाट्सप्प लोगो का डेटा लेती है तो उस टाइम पर “brian acton & jan koum”को ये सुन कर बोहत बड़ा शॉकेड लगा जब 2017 मैं यह सब होता है तब ब्रेन ऐक्टन और जान कौम को ये पता लगता है व्हाट्सप्प तो सालो से फेसबुक के साथ अपना डाटा शेयर कर रहा है और यही जानते हुए 2017 मैं ब्रायन ऐक्टन और जान कौम ,फेसबुक को छोड़ देते है अब बोहत सरे लोग ये सोच रहे होंगे end -to -end encryption ये भी तो एक चीज होती है जैसे हम massage को delete कर दो व्हाट्सप्प आपका डाटा ले हे नहीं पायगे पर ऐसा नहीं है ये बात व्हाट्सप्प और फेसबुक के एक्स empoloye ने कहा जब आप कोई भी massage type करते हो तो सबसे पहले whatsapp डाटा कोड्स के अंदर कन्वर्ट करता है फिर उसके बाद read करता है और encrypted करता है उसके बाद ये encrypted data codes को receiver तक पहूँचाता है वहा पहूँचाता के बाद ये डिक्रिप्ट होते है फिर सामने बाले को आपका massage देखता है लेकिन अब व्हाट्सप्प पैसा कमाने के बोहत सारे रस्ते बना चुके है जैसे की whatsapp business अपने customers को लेते रिप्लाई देते है तो उनसे व्हाट्सप्प lete reply फ्री लेता है इसके अल्बा व्हाट्सप्प काफी सारी country मैं status section के अंडर भी एड्स बनाने बाला है अगर ये सब जाने के बाडी आप सब के दिमाग मैं एक हे चीज घूम रही होंगे
अगर असा है तो लोग व्हाट्सप्प पर इतना ट्रस्ट कैसे करते है इसके 2 ही resion है
1. network effect
2. they dont care
आप इन सब को इसलिए chosse करोगे क्युकी आपसे जो भी कनेक्ट है बो सब ही आपको व्हाट्सप्प पर मिलेंगे अगर आपको इन दोनों मैं से एक हे ऑप्शन chosse करना पड़ा तो आप किया chosse करोगे
1. keep your privacy safe २. reeping yourself connected with peple आज टाइम पैर ये दो हे option है और ज्यादातर लोग second option chosse करते है फेसबुक का मैन काम है लोगो को अपनी तरफ aatrect करना इसलिए फेसबुक बोहत अच्छा – अच्छा new contain बना रहा है